बिहारी का प्रिय अलंकार क्या है यमक रूपक विभावना अनुप्रास : Bihari Ka Priya Alankar Kya Hai in Hindi

बिहारी का प्रिय अलंकार क्या है यमक रूपक विभावना अनुप्रास : Bihari Ka Priya Alankar Kya Hai in Hindi

बिहारी का प्रिय अलंकार क्या है यमक रूपक विभावना अनुप्रास : Bihari Ka Priya Alankar Kya Hai in Hindi – तो आज हम आपको बताएंगे कि बिहारी का प्रिय अलंकार क्या है? अगर आप भी इस महत्व पूर्ण जानकारी को प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े !

बिहारी का प्रिय अलंकार क्या है यमक रूपक विभावना अनुप्रास : Bihari Ka Priya Alankar Kya Hai in Hindi
बिहारी का प्रिय अलंकार क्या है यमक रूपक विभावना अनुप्रास : Bihari Ka Priya Alankar Kya Hai in Hindi

बिहारी का प्रिय अलंकार क्या है | Bihari Ka Priya Alankar Kya Hain?

बिहारी का प्रिय आभूषण उत्प्रेक्षा है। उत्प्रेक्षा अलंकार का अर्थ है उपमा, उत्प्रेक्षा, उपमान और उपमेय के बीच गहरा संबंध स्थापित करना। बिहारी ने अपने काव्य में उत्प्रेक्षा अलंकार का प्रयोग बहुत सुन्दर एवं प्रभावशाली ढंग से किया है।

उदाहरण के लिए, उन्होंने लिखा:

  • “नयनों से जल झरती बूँदें, नयनों को ही सींचती हैं।”
  • “चरणों की धूल से धरती, चरण को ही पूजती है।”
  • “कमल के पुष्पों से सुंदर, कमल की ही कलियां हैं।”

बिहारी काव्य में उत्प्रेक्षा अलंकार का प्रयोग इतना सुन्दर एवं प्रभावशाली है कि पाठक मंत्रमुग्ध हो जाता है।

बिहारी का प्रिय यमक अलंकार क्या है | Bihari Ka Priya Yamak Alankar Kya Hain?

बिहारी का प्रिय यमक अलंकार “अनुप्रास” है। अनुप्रास अलंकार का अर्थ है एक ही स्वर या स्वर समूह की बार-बार आवृत्ति। बिहारी ने अपने काव्य में अनुप्रास अलंकार का बहुत ही सुंदर और प्रभावी ढंग से प्रयोग किया है।

उदाहरण के लिए, उन्होंने लिखा है:

  • “बिहारी बोले सुनु सजनी, रसिया रसिकन को सन।
  • मधुर मधुर बोलो, बोलो मधुर मधुर कान।”
  • “सीतवा बरस्यो, आयो पतझड़, झड़्यो झड़्यो पत्ता पतझड़।
  • नदिया कट गई, बही जाई, जाई जाई बही जाई।”

बिहारी के काव्य में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग इतना सुंदर और प्रभावी है कि यह पाठक को मंत्रमुग्ध कर देता है।

बिहारी का रूपक विभावना अनुप्रास अलंकार क्या है | Bihari Ka Rupak Vibhavna Anuprash Alankar Kya Hain?

बिहारी का रूपक, विभावना और अनुप्रास अलंकार निम्नलिखित हैं:

  • रूपक:

“बिहारी के छंदों में रूपक अलंकारों का बहुत सुंदर प्रयोग होता है। वे अपनी कविताओं में प्रकृति के विभिन्न रूपों की तुलना मानव रूपों से करते हैं और बहुत ही सुंदर और मनोरंजक चित्रण करते हैं। उदाहरण के लिए, वे एक घुड़सवार को “बादल” के रूप में वर्णित करते हैं और एक नदी को “संत” के रूप में वर्णित करते हैं।

  • विभावना:

“बिहारी के छंदों में विभावना अलंकार का भी बहुत सुंदर प्रयोग किया गया है। वे अपनी कविताओं में ऐसी चीजों का वर्णन करते हैं जो संभव नहीं हैं, लेकिन वे उन्हें इतनी खूबसूरती से करते हैं कि पाठक उन पर विश्वास करने लगता है। उदाहरण के लिए, उन्हें एक प्रेमी को “सूरज” के रूप में वर्णित किया गया है और “चाँद” जैसा प्रियतम।

  • अनुप्रास:

बिहारी के पदों में अनुप्रास अलंकार का भी बहुत सुन्दर प्रयोग हुआ है। वह अपनी कविताओं में ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं जिनमें एक ही स्वर या व्यंजन बार-बार आता है। इससे कविताओं में एक विशेष ध्वनि प्रभाव उत्पन्न होता है जो उसे और अधिक सुन्दर एवं प्रभावशाली बनाता है। उदाहरण के लिए, वे एक प्रेमी के बारे में कहते हैं कि “वह मेरे दिल में रहता है”। “वह” शब्दों में एक ही स्वर “ए” की पुनरावृत्ति होती है और इस पंक्ति में “मेरा” आता है, जो एक विशेष ध्वनि प्रभाव पैदा करता है।

इन अलंकारों के प्रयोग से बिहारी की कविताएँ अत्यंत सुन्दर एवं प्रभावशाली बन पड़ी हैं। वे आज भी पाठकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।

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अनुप्रास में कौन सा अलंकार है?

अनुप्रास में वर्ण अलंकार होता है। जब किसी शब्द या वाक्य में एक ही वर्ण या व्यंजन की बार-बार आवृत्ति होती है, तो उसे अनुप्रास अलंकार कहते हैं। अनुप्रास के चार भेद हैं:

1. छेकानुप्रास
2. वृत्यानुप्रास
3. अन्त्यानुप्रास
4. लाटानुप्रास

छेकानुप्रास में एक ही स्वर की बार-बार आवृत्ति होती है। उदाहरण:
“चमन में चमेली खिली है।”
इस पंक्ति में “च” स्वर की बार-बार आवृत्ति होती है।

वृत्यानुप्रास में एक ही व्यंजन की बार-बार आवृत्ति होती है। उदाहरण:
“पवन चली, पलाश खिली।”
इस पंक्ति में “प” व्यंजन की बार-बार आवृत्ति होती है।

अन्त्यानुप्रास में एक ही स्वर या व्यंजन शब्दों के अन्त में आता है। उदाहरण:
“राम-लक्ष्मण-सीता”
इस वाक्य में “अ” स्वर शब्दों के अन्त में आता है।

लाटानुप्रास में एक ही शब्द की बार-बार आवृत्ति होती है। उदाहरण:
“सुंदरता ही सुंदरता है।”
इस वाक्य में “सुंदरता” शब्द की बार-बार आवृत्ति होती है।

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